از برای گفتنت باید که مولانا شوم | | 8 | 752 | 24 |
تهمت چاک پیــرهن گاهی ، دامــن بی گناه می گیرد | | 7 | 384 | 30 |
من آخریک شبی آرام درچشم تو میمیرم | | 4 | 483 | 17 |
مهتاب من که اینهمه بالا نمی شود | | 5 | 450 | 10 |
هم امیر عشق بودم ، هم امیر کوچه ها | | 5 | 433 | 16 |
پـدرم بر سر یک خال سمرقــندی داد | | 4 | 371 | 24 |
در نگــاه غزل آلـــود تو جـان باید داد | | 5 | 429 | 19 |
وقتی که او از ماجرایش حــرف میزد | | 7 | 397 | 26 |
انگار شب مرگ زمستان دلم بود | | 7 | 436 | 25 |
تنـها خطای زندگی م دیدن تو بود | | 9 | 347 | 30 |
یعـقوب ترین حادثه ی یوسف خویشم | | 5 | 472 | 16 |
آخـرین بیت غـزل روی لب تار توایم | | 5 | 548 | 9 |
در این معامله من بیگمان کم آوردم | | 8 | 329 | 12 |
یک شبی تنگم بمیران در خم آغوش هات | | 8 | 522 | 24 |
آخرین بیت این غزل با تو | | 10 | 615 | 27 |
یوسفی بودیم درچاهی ولی جان داشتیم | | 7 | 309 | 25 |
انگار باید کوچ کرد از این حـــوالی | | 3 | 400 | 21 |
این شاعران دیوانه هایی دل نشینند | | 5 | 383 | 27 |
برای ابری تـنگم جــرقه لازم نیست | | 4 | 439 | 11 |
امشب بیا به قــول نداده وفا کنیم | | 4 | 417 | 31 |
خوش آمدی، که مرا انتظار شاعر کرد | | 9 | 487 | 34 |
این دل که فنـا شد دل ناقابل ما بود | | 7 | 484 | 26 |
یوسف ترین حکایت چاه توام هنوز | | 5 | 717 | 23 |
بیا تا گـل کند در چشم سبزت دشت آهوها | | 7 | 3925 | 27 |
ای خوشا یوسف ترین زندانی پیراهنش | | 4 | 336 | 8 |
طالب بوسه ام و بوسه گناهی است کبیر | | 7 | 1395 | 28 |
کــجا نوشـته نـباید که دوسـتت دارم ؟ | | 5 | 307 | 17 |
دود کن عطردو سیبت که غزل ساز کنیم | | 7 | 340 | 22 |
پرستوهای عشقم سر بریدند | | 11 | 385 | 36 |
باز ای سبـزترین واژه ، بیا قافیه باش | | 6 | 333 | 23 |
پشت این پنجره یخ زده ام منتظرم | | 6 | 573 | 17 |
آخرین بیت غــزل روی لب تار توایم | | 4 | 487 | 18 |
ای همنفس جاده دل همسفرم باش | | 7 | 1449 | 10 |
چه کسی بود؟.چه میخواست ،چه گفت؟ | | 4 | 381 | 23 |
انگار میــل دلــدار گردیده مایـل ما | | 5 | 348 | 18 |
نا مهربانی اندکی بد نیست ، اما .. | | 2 | 298 | 18 |
سلام بر تو که از شهر عشق می آیی | | 4 | 435 | 14 |
چه می شود که بریزیم و امتحان بکنیم؟ | | 6 | 385 | 15 |
بازهم در پشت شـالی ها دلـی گم کرده ام | | 7 | 403 | 28 |
عاقبت یک روز می آید که امـضاٌ میکند | | 8 | 384 | 21 |
یک عـمر تو را دیدم و شاعر نشدم من | | 9 | 353 | 21 |
باز ای سبزترین قافـیه ام ، واژه ببار | | 9 | 319 | 11 |
یعنی که خدا گل کرد در مقدم نوزادم | | 12 | 393 | 22 |
ابتدا و انتهای عشق مان خط خورده است | | 5 | 266 | 7 |
تو دریا چشمی و درحجم تقدیرم نمیگنجد | | 9 | 266 | 14 |
استاد نشسته ، امتحان غزل است | | 7 | 290 | 13 |
در دبستان تو تکرار الفـبا عشق است | | 6 | 309 | 11 |
من خسته ام زبسکه دو پهلو سروده ام | | 3 | 353 | 9 |
شبی آهسته خلقت کرد اقیانوس آرامش | | 8 | 561 | 19 |
گدای هیچ سلطانی به احسانی نمی گردم | | 7 | 288 | 13 |
در این غروب خزانم ، تو ای طلوع بهار | | 10 | 306 | 14 |
گفت: استاد از کــجایی تو ؟ گفتمش از حــوالی شیراز | | 9 | 358 | 18 |
به خدا اشک ،غزل ها همه دامن گیرند | | 4 | 380 | 11 |
عشق پیدا شد و غم قافیه پردازم کرد | | 7 | 506 | 18 |
بانـوی شرقی، آریایی ها نجیب اند | | 6 | 583 | 18 |
بنده هم بارها همین گفتم ، خاک پای اهالی عشـقم | | 3 | 401 | 11 |
بنویس پای کودکی ام ، عاشقانه ها | | 8 | 315 | 19 |
آه... خیلی زود وقتم ، دیر شد | | 8 | 286 | 7 |
نشسته ایم به ختم و به داغ آزادی | | 9 | 260 | 20 |
جیرانِ من ای یاغی قشلاق نشینم | | 6 | 535 | 19 |
حکایت من و خواجه تفَال و غزل است | | 7 | 322 | 19 |
اصل مبنای غزل از اوست زیب دفترش | | 6 | 257 | 17 |
باز دربند خودم، مسدود تر، زنجیر تر | | 5 | 226 | 11 |
چکنم طایفه ی من همه عاشق بودند | | 6 | 740 | 15 |
کمی غزل بسرایم به افتخار خودم | | 7 | 288 | 24 |
کاش روزی دخترک از قید غم ها وارهد | | 7 | 254 | 18 |
برای از تو نوشتن همیشه کم دارم | | 3 | 301 | 7 |
تا کجا سر به سر دغدغه ها بـگذارم ؟ | | 8 | 323 | 21 |
خســته ای افتاده از پا در نشیب هستی ام | | 7 | 290 | 10 |
سلامی از دیار دلخوشی های قدیمم ، شهر میمندم.. | | 10 | 321 | 8 |
من آخر یک شبی آرام در چشم تو میمیرم | | 6 | 403 | 12 |
چکنم ، ایل و تبارم همه شاعر بودند | | 4 | 394 | 6 |
بهتر انست که دل ساکن شیراز کنم | | 2 | 318 | 4 |
عاقبت سعی و صفای تو مسلمانم کرد | | 5 | 297 | 6 |